Wednesday, October 13, 2010

नारी देह

देखी यहाँ भी नारी देह
भर लेता अपनी बातों में स्नेह!!
मुँह से तो फूल बरसते,
दिल में नारी देह को रखते!!
वो बस एक वस्तु है नारी देह
उसे  तो बस  भोगा  जाए!!
चाहे  कुछ  भी  हो जाए,
अपने घर की नारी,  नारी!!
दूसरे  की है  तो   बेचारी,
क्या वो  नारी इन्सान नहीं!!
याँ उसमें बसता भगवान नहीं,
जानवर क्यूँ बन जाता वो इंसान!!
जब देख लेता नारी देह पराई,
क्यूँ  हो   जाता  वो  हैवान!!
क्यूँ खो देता  अपना  ईमान,
क्यूँ नहीं करता उसका सम्मान!!

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