Sunday, October 17, 2010

देश की प्रगति

आज भारत हर क्षेत्र में प्रगति कर रहा है, वो विज्ञान हो या विधिया का क्षेत्र हो. आज हमारे देश के लोग पढ़ लिख कर बाहर के देशों में अच्छे पद पर कार्य कर रहे हैं. यदि हम भारत के गावों में झाकें तो ये प्रगति बेमानी सी लगती है. आज भी हमारे देश की जनता ज़्यादा पढ़ी लिखी नहीं. बहुत से लोग, लगभग८५% आज भी अनपढ़ हैं. अपने अधिकारों से अनजान है. जो पढ़ा लिखा वर्ग है वो भी पुरानी पांरपराओं, धर्म जाति से इतर कुछ नहीं सोचता. आज भी हमारे देश में कभी धर्म के नाम पर, जाति के नाम पर या अलग प्रदेश की माँग पर दंगे, हिंसा, तोड़ फोड़ होती रहती है. झारखंड या बिहार की ही बात ले लीजिए. वहाँ नक्सलवादी, माओवादीओ ने कितना ऊतपात मचा रखा है आए दिन समाचार पत्रों, दूरभाष में ऐसे समाचार मिलते रहते हैं. कभी रेलवे पाटड़िया उखाड़ दी जाती हैं. जिससे पिछले दीनो कितने रेल हादसे हुए, कितनी जाने चली गई. कभी लाल गढ़ किले की घटना. यह लोग कितना नुकसान पहुँचाते हैं देश को, जनता को. यह लो इतने खुदप्रस्त है. बस अपनी माँग पूरी होनी चाहिए. चाहे किसी को कितना भी नुकसान पहुँचे, किसी की जान चली जाए. इन लोगों के लिए किसी भी वास्तु, जान का कोई मोल नहीं है. यह नकसली, माओवादी कभी नहीं सोचते कि कितने परिवार उजड़ जाते हैं, कितनी औरते विधिवा हो जाती हैं,किसी के सिर से माँ बाप का साया छिन जाता है, किसी की कोख सूनी हो जाती है, किसी बहन का भाई छिन जाता है.देश को कितना आर्थिक नुकसान पहुँचता है. झारखंड, बिहार की स्थिति बहुत खराब है. कई बार तो यह नकलसी,माओवादी अपने मतलब की खातिर छोटे छोटे बच्चों को भी उठा लेते हैं और अपने घिनोने कार्यों में लगा देते हैं
लड़कियों को वेश्या जैसे गंदे धंधे में धकेल देते हैं. वहाँ तो गाँवों की स्थिति इतनी बदतर है कि छोटे छोटे बच्चों को माँ बाप बेचने पर मज़बूर हो जाते हैं. कई बार इन बच्चों से घरों का काम करवाया जाता है. ढाबों पर जो बच्चे काम करते हैं. उनकी स्थिति जानवरों से भी बदतर होती है.काम के नाम पर १५ घंटे काम लिया जाता है. खाने के लिए बचा खुचा यहाँ तक की झूठन तक खानी पड़ती है
पहनने के नाम पर चिथड़े धमा दिए जाते हैं छोटी सी ग़लती होने पर जानवरों जैसा पीटा भी जाता है.इन राज्यों में बाल विवाह भी बहुत ज़्यादा हैं. १४- १५ साल की आयु में विवाह कर दिया जाता है. यहाँ साक्षरता दर भी बहुत कम है. पढ़े लिखे लोग ना के बारबर हैं यदि यह सारे आँकड़े इकट्ठा किए जाएँ तो लगता है हमारा देश आज भी बहुत पिछड़ा हुआ है यह सर बातें हमारे देश की प्रगति में बढ़ा उत्पन्न करती है. यदि हम सच्चे मन से चाहते हैं हमारा देश आगे बढ़े, प्रगति के पथ पर चले तो हम पढ़े लिखे वर्ग को पहल करनी होगी. ये जाती, धर्म, अलग प्रदेश की माँग से उपर उठ के सोचना होगा और इन सारी समस्याओं के संदर्भ में कार्य करना होगा कि इनको कैसे दूर किया जाए

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