Sunday, October 17, 2010

यह घर

यह घर
       अब मेरा नहीं!!
जर्जर है
       दरो दीवारो का पता नहीं!!
रहते इन्सान
        पर आत्मा का पता नहीं!!
दुख है यहाँ
        खुशियों का बसेरा नहीं!!
गरूर भरे सब
        दिल में स्नेह रहा नहीं!!
रात गहरी
        अब यहाँ कोई सवेरा नहीं!!

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