Tuesday, November 9, 2010

वो हमारे लिए ऐसे हैं ,

वो  हमारे लिए ऐसे हैं ,
जैसे बेताब लहरें ,
साहिल छूने को हों !!

वो हमारे लिए ऐसे हैं ,
जैसे तपते रेगिस्तान में,
किसी प्यासे के लिए .
पानी की चाँद बूँदें हों !!

वो  हमारे लिए ऐसे हैं ,
जैसे अँधेरी रातों में ,
चिराग की रौशनी हों !!

वो  हमारे लिए ऐसे हैं ,
जैसे उमस भरी गर्मी,
में एक ठंडा हवा का,
झोंका  हों !!

वो  हमारे लिए ऐसे हैं ,
जैसे ठिठुरती  रातों में ,
कोई औढाया कोई कंबल हों !

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