Saturday, October 13, 2012

महक सकें कलियाँ समाज में

आखिर ऐसा क्यों करते हैं लोग?
भूल क्यों जाते हैं वे इंसानियत?
क्यूँ जलाते हैं बहन बहू बेटियों को?
क्यूँ फैंकते हैं तेजा
ब और कैरोसिन?
जला डालते हैं उन मासूमों को
क्यूँ करते हैं मासूमों की जिन्दगी से
खिलवाड़ ?
क्यों भूल जाते हैं बहिनों की राखियाँ
माँ के आँचल का दुलार और बेटियाँ
जो उनके जीवन को महकाती हैं
अफ़सोस है अब देश अनचाहे ही
जा रहा गहरे अँधेरे कूंएं में
आखिर कब तक सहेंगी ?????

हमारी बहन बहू बेटियाँ ये अत्याचार
आखिर कब तक ये रहेंगे उन्मादी
समाज में घूमते हुए खुले जंतु से
वार करते अपनी वासना पूंछ से
क्यों न इनका सामाजिक बलात्कार हो
सामूहिक इनके ही परिवार के सामने
क्योंकि शायद डर की भाषा जानते हैं
ऐसे बहशी ...तो उठाओ चाकू, कृपाण
और काट डालो इनका पुरुष पशुपन
रेत डालो गला ,जला डालो इनको वैसे ही
ताकि महक सकें कलियाँ समाज में
बिना किसी बंदिश बिना कोई डर 

2 comments:

  1. ऐसे बहशी ...तो उठाओ चाकू, कृपाण
    और काट डालो इनका पुरुष पशुपन
    रेत डालो गला ,जला डालो इनको वैसे ही
    ताकि महक सकें कलियाँ समाज में
    बिना किसी बंदिश बिना कोई डर
    ...बर्बर पशु के साथ पशुता का ही व्वहार जंचता है..
    बहुत बढ़िया ..मेरे मन की कह दी आपने ...

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  2. हमारी बहन बहू बेटियाँ ये अत्याचार
    आखिर कब तक ये रहेंगे उन्मादी
    समाज में घूमते हुए खुले जंतु से
    वार करते अपनी वासना पूंछ से
    क्यों न इनका सामाजिक बलात्कार हो
    सामूहिक इनके ही परिवार के सामने
    क्योंकि शायद डर की भाषा जानते हैं
    ऐसे बहशी ...तो उठाओ चाकू, कृपाण
    और काट डालो इनका पुरुष पशुपन
    रेत डालो गला ,जला डालो इनको वैसे ही
    ताकि महक सकें कलियाँ समाज में
    बिना किसी बंदिश बिना कोई डर



    एक आवाहन है इस रचना में उद्दाम आवेग है आक्रोश का वहशियों के प्रति सही कहा है इनका लिगोच्छेदन होना ही चाहिए .न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी .पशु योनी के कान खड़े होंगें .
    ram ram bhai
    मुखपृष्ठ

    सोमवार, 15 अक्तूबर 2012
    भ्रष्टों की सरकार भजमन हरी हरी ., भली करें करतार भजमन हरी हरी .
    http://veerubhai1947.blogspot.com/

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