Tuesday, December 25, 2012

जब रात की नागिन डसती है,
नस नस में ज़हर उतरता है !!
जब चाँद की किरनें तेज़ी से ,
इस दिल को चीर के आती हैं !!
जब आँख के अन्दर ही आंसू ,
जंजीरों में बंध जाते हैं !!
सब ज़ज्बातों पे छा जाते हैं,
तब याद बहुत तुम आते हो !

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