Sunday, February 10, 2013

नशे की गर्त में डूबे हैं नौज़वान
जवानियाँ खा रहे देश की शैतान
कि भर रहे हैं नसून में अपनी ज़हर
पी रहे हैं सिगरटों में ब्राउन शुगर 
झोंकते अपने जीवन को गर्त की डगर 
मर रहे तिल तिल खुद को छिपते मगर
देश के गदारों के भरते हैं दौलत से घर
देख लो जवानियाँ चली मौत की डगर
जिंदगी को जीना है तो छोड़ दो नशा
जिंदगी को क्यूँ भेजते हो शमशान की डगर..

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