Friday, May 17, 2013


सत गुरु और शिष्य
सत गुरु क्या हैं होते हैं
क्या हम जानते हैं ये
क्या हम ,नहीं समझते
सत गुरु शिष्य का
रूपांतरण हैं करते !!
रूपांतरण ज्ञान ही नहीं
आत्म अनुभूति होता है
अन्तकरण और मन की
वे वासना को मिटाते हैं !!
नर को नारायण
सत गुरु ही बनाते हैं
आज के युग में
ऐसे गुरु कहाँ मिलते हैं
वह शिष्य कहीं खो गए
जो गुरु को गुरु है मानते हैं
शायद शिष्यों से ही गुरु भी
पहचाना जाता है
जब वे जिवंत अध्यात्म को
अतारते जीते हैं जीवन में
गुरु मुक्त करते हैं आडम्बर और
अज्ञान के अँधेरे से मन के
दर्शन कराते हैं आत्मा के
आत्मज्ञानी बनाते हैं
अपने शिष्य को
कितु
अभी के व्यवहार को देखकर
लगता है की गुरु लोग
अपनी कोई सेना बनाते हैं
जो उनकी unpaid सेवा
के लिए प्राण भी देती है अपने
अजब माया है गुरुओं की
खुद ये सब में उलझे हैं
माया और मोह में

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