Monday, October 21, 2013

न लाना तुम श्रृंगार सजन तुम आ जाना व्याकुल मेरे मन प्राण चैन तुम दे जाना
हर दिन आकर ये चाँद तेरा दिलाता भान तुझको नित निहारा दर्श नयन को दे जाना
कैसे करूँ श्रृंगार तडपे हैं सजन मेरा प्यार स्नेह की भीगी एक पुकार प्रियवर दे जाना
तुम भूले वचन अनेक यह याद रहे एक जन्म जन्म का नेह न तुम विसरा जाना
नहीं मांगूं सजन कोई हार रोये है प्यार बाहों का अपना हार ज्योति को पहना जाना........
1.जिंदगी के दिन हमने कैसे गुज़ारे हैं दुश्मनों से जीते हैं दोस्तों से हारे हैं

2.अपनी भी नज़र है नदी के बहाव पर
जिंदगी सवार है कागज की नाव पर

3.तुम बस नजर मिलने को प्यार समझे "ज्योति"
हम तुम्हें दिल में तलाशते रहे नाहक

4.वो कौन सा दिन है जब तुम नहीं थे साथ मेरे
मुझे तो जिस तरफ देखा तुमही नजर आये "ज्योति"
35.तुम कहाँ कम हो किसी खजाने से और खोजूं "ज्योति"
तुम को पाया है तो लगता जहाँ मिला है मुझे

Monday, October 7, 2013

1.दूर तुम दूर मैं अब चाहत पनाह मांगती है दूर कैसे करूँ ख्याल तेरा रूह काँप जाती है
2.वो और होंगे जो डर गए होंगे रुशवाई से इश्क दीवाना तो कोई विरला ही होता है
3.मेरे हिस्से का प्यार भी तुम ले लो 
बस अपनी दोस्ती हमें दे दो
4.किसी की आँख में क्या देखूं मैं कहो 
आँख अपने ही आंसुओं से धुंधलाई है