Sunday, November 10, 2013

जिंदगी अभी तक मिली ही नहीं , एक बार देखि थी छोटी सी झलक लगा था जैसे पा लिया है उसको न जाने कहाँ छिप गयी ......वह पथरा गयीं हैं आँखें....राह तकते साँस फूलने लगी है सीने में अब बाट जोहते हुए..... जिंदगी तेरी कहीं ऐसा न हो ...फिर कि तुम मुझे खोजो और मैं खो जाऊं कहीं जिंदगी जब तक सांस है तन में आस है मिलने की तुमसे मुझे टब कब मिलोगी, कहो न .कहो न

2 comments:

  1. जिंदगी मिलती नहीं ... उसे छीनना होता है ...
    भावमय ...

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